
ग़ज़ा पर इसराइल के वहशियाना हमले
हमारा अह्तेजाज
हर इंसानियत-पसंद का अह्तेजाज !!
Where is Human Rights?
Is this what you call : Road to Peace??
UNO = United Nonsense !!
उर्दू जहाँ (शेर-ओ-अदब की तहज़ीब)... हिंदी देवनागरी लिपि में



मोहब्बत बड़ा खूबसूरत जज़्बा है, पता नही चलता कब और कैसे दिल में उभर आता है ... जैसे बरसात की अँधेरी रात में जुगनू झिलमिला उठें ... या जैसे मन्दिर में कोई चुपके से दिया जला दे.
हज के मोक़े पर कल मैदान-ऐ-अरफ़ात में मस्जिद-ऐ-नम्रा के इमाम साहब ने खुत्बा देते हुए कहा था :
ज़िलहज , इस्लामी महीनों का 12th और आख़री महिना है. हज इसी महीने की 8 से 12 तारीख़, जुमला 5 दिनों में अंजाम पाता है. हज का दूसरा दिन यानि 9-ज़िलहज "अरफ़ात" का दिन कहलाता है. (इस साल 9-ज़िलहज, 7-Dec.-2008 को आया है.)
अरफ़ात के मैदान में चारों तरफ़ निशाँ लगा दिए गए हैं. क्यूँ के जो कोई हाजी 9-ज़िलहज को इस मैदान के अंदर दाख़िल ना हो पाये उसका हज नही होता. मैदान-ऐ-अरफ़ात दुआओं के क़ुबूल होने का मुक़ाम है. इसलिए तमाम हाजी इस मैदान में ज़्यादा से ज़्यादा दुआएं मांगते हैं.



नाम: हैदराबादी
मुक़ाम: हैदराबाद, भारत.
दिलचस्पियाँ: उर्दू अदब और शाएरी , तंज़-ओ-मिज़ाह.
मेरे मुतल्लिक़ तफ़्सील यहाँ पर