गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008


ईद-उल-फ़ित्र मुबारक !!


अस्सलाम-ओ-अलैकुम
तमाम ब्लॉगर साथियों और दोस्तों को ईद-उल-फ़ित्र की पुर-खुलूस मुबारकबाद क़ुबूल हो.



महफ़िलें यूँ तो रोज़ सजती हैं
महफ़िल-ऐ-ईद तेरी बात है और




हर तरफ़ गुल खिलें मसर्रत के
आप आयें तो ईद हो जाए

ईद आई है कई रंग जुलू में ले कर
इन में एक रंग तेरी याद का भी है अए दोस्त

4 टिप्‍पणियां:

subhash Bhadauria ने कहा…

कैसे कह दें कि तुम पराये हो,
तुम से नाता बहुत पुराना है.
तुम दीवाली पे अब के आ जईयो,
ईद पे हम को अब के आना है.
ईद मुबारक हो जनाब.हैदराबाद बहुत दूर है साहब नहीं तो सेमैया खाने ज़रूर आ जाते.वैसे अहमदाबाद में हमारे कुछ अज़ीज़ हैं उनके घर पहुँचना हैं बिना बुलाये.

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

ईद आई है कई रंग जुलू में ले कर
इन में एक रंग तेरी याद का भी है अए दोस्त

ईद का ख़ूबसूरत नज़राना...

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाई आप कॊ बहुत बहुत मुबारक वाद यह महीना, ईद पर तो मुबारक वाद ना दे सका, माफ़ी चाहता हुं.
धन्यवाद

Syed Hyderabadi ने कहा…

मैं इन दिनों वैसे तो छुट्टी पर हैदराबाद में हूँ , दो चार दिन बाद KSA वापस लौट जाऊंगा. इसलिए ब्लॉग पर बहुत कम लिखा है इन छुट्टियों के दौरान.

डॉ.सुभाष भदौरिया:
डॉ.साहेब, हम तो आप की उम्दा शाएरी के क़तील हैं. ईद की मुनासिबत से अपनाईअत का आपका यह शाइराना अंदाज़ भी बहुत बहुत अच्छा लगा. बेहद शुक्रिया
फ़िरदौस ख़ान:
आप जैसी मारूफ़ क़्ल्म्कारा को अपने ब्लॉग पर विज़िट करते और तबसरा करते देख कर लिखने का हौसला बढ़ता है. बहुत शुक्रिया
राज भाटिय़ा:
भाटिय़ा जी, आप का बस मेरे ब्लॉग पर आकर मुझे मुखातिब करना ही मेरे लिए खुश क़िस्मति का मुक़ाम है. आप की मुबारकबाद का बहुत शुक्रिया