गुरुवार, 22 जनवरी 2009


तू ने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था


हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
सिर्फ़ एक बार मुलाक़ात का मोक़ा दे दे

मेरी मंजिल है कहाँ , मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझ से बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए एक रात का मोक़ा दे दे

अपनी आंखों में छुपा रखे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पर सजा रखे हैं आंसू मैंने
मेरी आंखों को भी बरसात का मोक़ा दे दे

आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले
कपकपाते हुए होंटों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ऐ-ख़यालात का मोक़ा दे दे

भुलाना था तो यह इक़रार किया ही क्यूँ था
बे-वफ़ा तू ने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मोक़ा दे दे


poet = क़ैसर-उल-जाफ़री

बुधवार, 21 जनवरी 2009


गरम एक बूसा मेरे मुं पर लगा दिया ...


तांगे वाला

ले के बीड़ी का एक लंबा कश
एक चाबुक लगा के घोड़े को
तांगे वाला मेरा कहने लगा
देख कर एक हसीं जोड़े को

बाबु जी एक दिन का ज़िक्र है यह
मैंने रेशम की चमकती लुंगी
आँख पर कुछ झुका के बाँधी थी
यह मेरी आँख छुप गई सी थी

उस सड़क पर इस आँख ने देखा
चुलबुली प्यारी एक हसीना को
"आजा कुड़ी, इधर ज़रा" कह कर
मार दी आँख उस हसीना को

अपने गोरे से हाथ का थप्पड़
मेरे मुं पर जमा दिया उस ने
यूँ लगा जैसे गरम एक बूसा
मेरे मुं पर लगा दिया उस ने

उस हसीं हाथ की हसीं खुशबू
अब भी आती है सूंघ लेता हूँ
दो घड़ी बंद कर के मैं आँखें
अपने तांगे में ऊंघ लेता हूँ

और क्या चाहिए था बाबू जी !!


poet = राजा महदी अली खान

सोमवार, 19 जनवरी 2009


तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे


तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे
कोई तुझ को उस से जुदा करे

तेरे होंट हँसना भूल जाएँ
तेरी आँख पुर-नम रहा करे

तू उसकी बातें किया करे
तू उसकी बातें सुना करे

उसे देख कर तू रुक पड़े
वह नज़र झुका के चला करे

तुझे हिज्र की वह घड़ी लगे
तू मिलन की हर पल दुआ करे

तेरे ख़्वाब बिखरें टूट कर
तू किरची किरची चुना करे

तू नगर नगर फिरा करे
तू गली गली सदा करे

तुझे इश्क़ हो तो यक़ीन हो
उसे तसबीहों पर पढ़ा करे

मैं कहूँ के इश्क़ ढोंग है
तू नहीं नहीं कहा करे

तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे
तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे

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आँख पुर-नम रहना = आँख में आंसू रहना
हिज्र = जुदाई
तसबीह पढ़ना = माला जपना
सदा करना = आवाज़ देना

शनिवार, 17 जनवरी 2009


हम से बढ़ कर कौन ?!


अमरीका से दो आदमी फ़्लाईट से भारत आ रहे थे. एक silicon-valley का आई टी प्रोग्रामर था और दूसरा शिकागो की किसी होटल में काम करने वाला हैदराबादी शाएर. फ़्लाईट में दोनों को सीट आस पास मिली.

आई टी प्रोग्रामर ने कहा: क्यूँ ना हम आपस में general-knowledge का कोई खेल खेलें?
हैदराबादी शाएर साहब ने इनकार कर दिया.
प्रोग्रामर ने दुबारा ज़ोर देकर कहा. फिर भी शाएर साहब ने इनकार कर दिया.
तीसरी बार प्रोग्रामर ने कहा:
ठीक है भाई साहब, आप हारें तो 1 डॉलर और मैं हारा तो 100 डॉलर दूंगा.
हैदराबादी शाएर साहब इस बार तैयार हो गए.

पहला सवाल प्रोग्रामर ने किया:
ज़मीन से चाँद तक का फ़ासला कितने किलो-मीटर का है?
शाएर साहब ने ख़ामोशी से 1 डॉलर प्रोग्रामर के हाथ में दे दिया.

अब शाएर साहब ने सवाल किया :
वह कौनसा जानवर है जो पहाड़ पर तीन पैरों से चढ़ता है मगर पहाड़ से उतरता चार पैरों से है?
प्रोग्रामर साहब ने अपना लैपटॉप खोला और बड़ी देर तक सर खपाते रहे. दो चार ईमेल किए फिर कुछ दोस्तों को SMS भी किया. मगर थक हार कर उन्हें 100 डॉलर शाएर साहब को देना ही पड़े. उसके बाद खेलने की ज़्यादा हिम्मत नही हुयी. ख़ामोश ही बैठे रहे.

जहाज़ जब मुंबई पर लैंड होने लगा तो प्रोग्रामर ने शाएर साहब से पुछा :
आप अपने सवाल का जवाब तो बता दीजिये.
इस पर शाएर साहब ने 1 डॉलर का नोट उनके हाथों में थमाते हुए कहा :
मुझे नही मालूम !!

मंगलवार, 6 जनवरी 2009


यह बच्चे सब के बच्चे हैं



मासूम से प्यारी जानों पर
यूँ बम जब तुम बरसाते हो
क्या हाल हुआ है आख़िर को
एक बार सही पर तुम देखो
जो घायल हुआ है छर्रों से
जो मलबे तले है दबा हुआ
वह जूते पहने सोया था
वह शाएद किसी की गुडया है
वह देखो हाथ जो दिखता है
एक feeder हाथ में पकड़ा है

ऐसे ही कितने बच्चे हैं
मासूम फरिश्तों जैसे हैं
क्या लेना इनको मज़हब से
क्या काम है इनका नफ़रत से
मासूम हैं यह तो सच्चे हैं
यह बच्चे सब के बच्चे हैं !!

शुक्रवार, 2 जनवरी 2009


नया साल खुशियों का पैग़ाम लाए



नए साल पर आप सब को शुभ कामनाएं !!
नए साल पर हमारी दुआ .....

नया साल खुशियों का पैग़ाम लाए
खुशी वह जो आए तो आकर ना जाए

खुशी यह हर एक शख़्स को रास आए
मोहब्बत के नग़्मे सभी को सुनाए

रहे जज़बा-ऐ-मोहब्बत हमेशा सलामत
रहें साथ मिल जुल के अपने पराए

नही खिदमत-ऐ-इंसान से कुछ भी बहतर
जहाँ जो भी है फ़र्ज़ अपना निभाए

मोहब्बत की शमें रौशन हों हर तरफ़
दिया अमन और सुलह का जगमगाए