शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008


मेरा दिल भी कितना पागल है ......


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एक दिल का दर्द है के रहा ज़िन्दगी के साथ
एक दिल का चैन था के सदा ढूंढते रहे

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खुदा करे मेरी तरह तेरा किसी पे आए दिल
तू भी जिगर को थाम के कहता फिरे के हाऐ दिल
रोंदो ना मेरी क़ब्र को इस में दबी हैं हसरतें
रखना क़दम संभाल के देखो कुचल ना जाए दिल

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ज़र्फ़ की बात है, काँटों की ख़लिश दिल में लिए
लोग मिलते हैं तरो-ताज़ा गुलाबों की तरह

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फूँक डालूंगा किसी रोज़ मैं दिल की दुन्या
यह तेरा ख़त तो नही है के जला भी न सकूँ

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जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है?

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यह तो मुमकिन ही नही दिल से भुला दूँ तुझको
जान भी जिस्म में आती है तेरे नाम के साथ

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दिल की चोव्खट पे जो एक दीप जला रखा है
तेरे लौट आने का इमकान सजा रखा है

2 टिप्‍पणियां:

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

एक दिल का दर्द है के रहा ज़िन्दगी के साथ
एक दिल का चैन था के सदा ढूंढते रहे

बहुत ख़ूब...

बेनामी ने कहा…

sirf do labs hai aapke liye..
Wah Wah