शुक्रवार, 15 अगस्त 2008


१५-अगस्त ... नेमत-ऐ-आज़ादी ... मेरी दुआ


१५-अगस्त
आज़ादी भी कितनी बड़ी नेमत है !

आज बाहर की दुन्या तो बड़ी हसीन है , खुशगवार है , रोमानी है , रंग बिरंगी है , हवाओं में ताज़गी सी है ...
मगर ऍ काश ...
हमारे अन्दर का मौसम भी दिलरुबा होता , उतना ही महकता होता ...
आज मिटटी का रंग भी बड़ा लाल लाल सा नज़र आता है , रूह कहती है के यह मिटटी उन जियालों के खून की याद में रो रही है जिन्हों ने इस प्यारे वतन को आजाद कराया , अपने क़ीमती खून की क़ुर्बानियाँ दीं , शाएद सोचा होगा के उनके मरने के बाद ही सही मगर एक नई सुबह तो तुलू होगी !

आह ... के वह सुबह तुलू हुयी भी तो कितने मुख्तसर वक़्फ़े के लिए?
प्यारे वतन की धरती का रंग आज भी उतना ही लाल है।
मज़हब , सियासत , जुबां , इलाका , ज़ात पात और फ़िरक़े ... इन सब मोतियौं को जमा कर के खूबसूरत जगमगाती माला बनायी थी मोमारान-ऐ-वतन ने। मालूम नहीं इतने सालों में किस की नज़र लग गई ?

तस्बीह की डोर टूट गई है , दाने इधर उधर बिखर गए हैं ...
रोने की आवाजें , दहशत ज़दा आवाजें , धमाकों की आवाजें , चीखना चिल्लाना , तड़पना फड़कना , फ़िज़ा में बारूद की बू ... परिंदे उदास हैं , उनकी चोंच से शाक़-ऐ-जैतून छीन ली गई है ।

फिर भी ...
हां फिर भी ... हर साल १५-अगस्त की सुबह माहौल बदल जाता है , हसीं-वो-खुशगवार हो जाता है , चारों तरफ़ जैसे होली के दमकते रंग बिखर जाते हैं , आज़ादी के दिल-आवीज़ नग़्मों की लहरें सुनाई देती हैं , फिजायें झूम झूम उठती हैं ...

ऍ अल्लाह ! ऍ मेरे रब !
काश के यह दिन , यह खूबसूरत दिन , सारे साल पर फैल जाए , हम नेमत-ऐ-आज़ादी की हक़ीक़त को जान लें पहचान लें , इसकी हिफ़ाज़त हम सब ने मिलकर करनी है .... आपस में इन्ही मोहब्बतों , चाहतों , रिश्तों नातों को परवान चढ़ाना है जिसकी ख़ातिर हम ने आज़ादी जैसी यह नेमत हासिल की थी ...
काश के यह बात हम सब की समझ में आ जाए ... काश के .....

ऍ ख़ुदा ! ढलकते हुए एक आंसू की इस दुआ को क़बूल फरमा ले ... आमीन !!

अपने प्यारे वतन हिन्दुस्तान के तमाम देश वासियौं को ...
A happy Independance day !!


तुलू = rise
मुख्तसर वक़्फ़े = a short time
मोमारान-ऐ-वतन = वतन को बनाने वाले
शाक़-ऐ-जैतून = a branch of olive (for peace)
दिल-आवीज़ = दिल को छूने वाले
परवान चढ़ाना = to grow positively

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें संग्राम
जन की आजादी लाएँ।