परवीन शाकिर के क़ल्म से .......
जाने कब तक तेरी तस्वीर निगाहों में रही
हो गई रात तेरे अक्स को तकते तकते
मैंने फिर तेरे तसव्वुर के किसी लम्हे में
तेरी तस्वीर पे लब रख दिये अहिस्ता से
अक्स = image , photograph
तकते तकते = देखते देखते
तसव्वुर = imagination
लब = lips
शुक्रवार, 25 जुलाई 2008
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1 टिप्पणी:
parvin ko padhna hamesha khoobsurat hota hai.
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