इस दर्जे अहतियात से लिखा है ख़त उसे
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ
दर्जे = श्रेणी
अहतियात = सावधानी
हर्फ़ = अक्षर
उर्दू जहाँ (शेर-ओ-अदब की तहज़ीब)... हिंदी देवनागरी लिपि में
नाम: हैदराबादी
मुक़ाम: हैदराबाद, भारत.
दिलचस्पियाँ: उर्दू अदब और शाएरी , तंज़-ओ-मिज़ाह.
मेरे मुतल्लिक़ तफ़्सील यहाँ पर
5 टिप्पणियां:
اس درجہ احتیاط سے لکھا ہے خط اسے
رویا ہوں یوں کہ حرف بھی گیلے نہیں ہوئے
कया येह आप ने लिखा हे?
इस दर्जे अहतियात से लिखा है ख़त उसे
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ
"" इन अल्फाजों की जितनी तारीफ करु कम है..."
Regards
مکی ...
यह शेर मेरी डायरी में लिखा हुआ था. अभी चेक किया तो मालूम हुआ के ऐतबार साजिद का है. ब्लॉग पर तशरीफ़ लाने का शुक्रिया मक्की भाई.
इस दर्जे अहतियात से लिखा है ख़त उसे
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ
बहुत खुब प्यार कया इसे ही कहते है??
धन्यवाद
वाह ,वाह और वाह ...
मगर एहसासों और जज्बातों के बारे में और लिखें
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