शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008


रोया हूँ यूँ के ...


इस दर्जे अहतियात से लिखा है ख़त उसे
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ

दर्जे = श्रेणी
अहतियात = सावधानी
हर्फ़ = अक्षर


5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

اس درجہ احتیاط سے لکھا ہے خط اسے
رویا ہوں یوں کہ حرف بھی گیلے نہیں ہوئے

कया येह आप ने लिखा हे?

seema gupta ने कहा…

इस दर्जे अहतियात से लिखा है ख़त उसे
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ
"" इन अल्फाजों की जितनी तारीफ करु कम है..."
Regards

Syed Hyderabadi ने कहा…

مکی ...
यह शेर मेरी डायरी में लिखा हुआ था. अभी चेक किया तो मालूम हुआ के ऐतबार साजिद का है. ब्लॉग पर तशरीफ़ लाने का शुक्रिया मक्की भाई.

राज भाटिय़ा ने कहा…

इस दर्जे अहतियात से लिखा है ख़त उसे
रोया हूँ यूँ के हर्फ़ भी गीले नही हुऐ
बहुत खुब प्यार कया इसे ही कहते है??
धन्यवाद

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

वाह ,वाह और वाह ...
मगर एहसासों और जज्बातों के बारे में और लिखें