कुछ मोहब्बतें फूलों की तरह होती हैं , ख़ामोश ख़ामोश लेकिन इन की महक इन के होने की पहचान होती है ...
कुछ मोहब्बतें लपकते शोलों की तरह होती हैं के इन में जलने वाले ख़ुद भी जलते हैं और उनके क़रीब रहने वाले भी यह तपिश महसूस करते हैं तो फिर इज़हार की ज़रूरत भी कहाँ रहती है ?
कुछ मोहब्बतों में नदी की सी रवानी होती है ...
और कुछ में मैदानी दर्याऔं जैसी तुग़्यानी ...
कुछ टूटने वाले तारों की तरह होती हैं यानी अनं फ़नं चमक कर फ़ना हो जाने वाली मोहब्बतें ...
कुछ मोहब्बतें क़ुत्बि सितारों की तरह पायेदार और मुस्तक़ल राह दिखाने वाली होती हैं ...
कुछ अंधेरों में रौशनी बन कर जगमगाने वाली मोहब्बतें ...
कुछ आबशारों की तरह होती हैं के जब निछावर होती हैं तो शोर मचाती और दनदनाती हैं ...
और कुछ दूर पर्बतों के दामन से फूटने वाले झरनों की तरह ठंडी मीठी, धीमी धीमी शफ़्फ़ाफ़ मोहब्बतें जो जीने का अज़्म अता करती हैं ...!!
तपिश = गर्मी
रवानी = smooth flowing
तुग़्यानी = excess flowing , flood
अनं फ़नं = फ़ौरन
क़ुत्बि सितारा = polaris
पायेदार और मुस्तक़ल = मज़्बूत और हमेशा का
आबशार = water-fall
शफ़्फ़ाफ़ = bright & shining
अज़्म = aim
मंगलवार, 12 अगस्त 2008
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8 टिप्पणियां:
behatarin......
बहुत ख़ूब।
कुछ मोहब्बतों में नदी की सी रवानी होती है ...
और कुछ में मैदानी दर्याऔं जैसी तुग़्यानी ...
कुछ टूटने वाले तारों की तरह होती हैं यानी अनं फ़नं चमक कर फ़ना हो जाने वाली मोहब्बतें ...बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें।
प्यारी नज़्म है...
कुछ मोहब्बतों में नदी की सी रवानी होती है ...
और कुछ में मैदानी दर्याऔं जैसी तुग़्यानी ...
कुछ टूटने वाले तारों की तरह होती हैं यानी अनं फ़नं चमक कर फ़ना हो जाने वाली मोहब्बतें ...
बहुत ख़ूब
कुछ आबशारों की तरह होती हैं के जब निछावर होती हैं तो शोर मचाती और दनदनाती हैं ...
वाह...उर्दू जबान की सारी मिठास मिल गयी हमें आप के हर जुमले में...बेहतरीन.
नीरज
vipinkizindagi , शायदा , शोभा , फ़िरदौस खान और रंजना [रंजू भाटिया]-
आप तमाम का बहुत बहुत शुक्रिया
नीरज गोस्वामी - आप ने सही कहा कि उर्दू में मिठास है और आप जैसे चाहने वाले इस तरह हौसला बढाते रहें तो और भी अच्छे से अच्छा पेश करूँगा , वादा रहा. और बहुत बहुत शुक्रिया आप का भी.
बहुत उम्दा, क्या बात है!
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