शनिवार, 30 मई 2009
मोटू बच्चों से हमको बचाओ ....
Video-Games में उछलने कूदने वाले और Junk-Food खाने वाले यह आजकल के बच्चे ना स्कूल में दौड़ते हैं और ना ही घर में हिलते डुलते हैं. और अगर इन से कोई चीज़ लाने या बढ़ाने को कहिये तो टस से मस नहीं होते.
आजकल के बच्चे तो अपना स्कूल का bag ही बड़ी मुश्किल से उठाते हैं. अब वही bag जब कोई मोटा ताज़ा बच्चा जो के पहले ही अपना 10 , 20 किलो का चर्बी वाला गोश्त उठाये फिरता है, उठाये तो फिर उस बेचारे का क्या हाल होगा?
एक हम थे के अपने ज़माने में दौड़ कर स्कूल जाया करते थे और अक्सर भाग कर आया करते थे. फिर हर दूसरे दिन मुर्गा भी बनते थे. एक तो भागो दौड़ो और उस पर मुर्गा भी बनो.
जब कोई हमें सौदा लाने को कहता तो बड़े खुश होते के घर की क़ैद से छुटकारा मिला और "ऊपर की कमाई" भी अलग से मिलती. घर से बाज़ार और बाज़ार से घर बड़ा लंबा चक्कर काट कर आते. रास्ते में मोहल्ले के लड़कों से कोई खेल भी खेल लेते.
अब ऐसे हालात में मोटापे की क्या हिम्मत के हमारे करीब भी फटकता?
बचपन में खेलना कूदना उछालना दौड़ना हर बच्चे का हक़ है. लेकिन यह कमबख्त मोटापा उनका हक़ दबा देता है.
हम तो हमेशा दुआ करते हैं के किसी दुश्मन के बच्चे को भी मोटापा नसीब ना हो. दोस्त के बच्चों से तो हमारा ही हाल पतला होता है .... उस मोटू को खिलाने पिलाने गोद में उठाना जो पड़ता है.
अपने तमाम दोस्तों को हमारा मशूरा है के अपने बच्चों को मोटापे की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाने से रोकने की हर तरह कोशिश करें. वरना ....
उन से यह दोस्ती निभायी ना जायेगी
उन से यह बोझ उठाया ना जाएगा !!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
बडी खुखी की बात है आप उर्दू के साथ वही मवाद हिंदी में भी पेश कर रहे है
एक टिप्पणी भेजें