शनिवार, 15 अगस्त 2009
यौम-ऐ-आज़ादी-ऐ-हिंद मुबारक !!
यौम-ऐ-आज़ादी-ऐ-हिंद आप तमाम दोस्तों को मुबारक हो !!
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी ये गुलसिताँ हमारा ॥
ग़ुर्बत मे हो अगर हम रहता है दिल वतन मे
समझो वहीं हमे भी दिल है जहाँ हमारा ॥
परबत वो सब से ऊंचा हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा ॥
गोदी मे खेलती है इसकी हज़ारों नदिया
गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जनाँ हमारा ॥
ऐ आब ए रौद ए गंगा वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा ॥
मज़हब नही सिखाता आपस मे बैर रखना
हिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा ॥
युनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गये जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नामो-निशान हमारा ॥
कुछ बात है के हस्ती मिटती नही हमारी
सदियो रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा ॥
इक़्बाल! कोइ मेहरम अपना नही जहाँ मे
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा ॥
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5 टिप्पणियां:
शानदार रचना । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई।
बार-बार हर जगह यही तराना, कोई इसको समझे कि ना समझे, कोई हिन्दी जगत में मेरे अलावा इसके हर शे'अर का अर्थ भी जाने है कि नही? आपके ब्लाग पर यह सोचकर आया था कि यहां तो होगा पर मायूस किया आपने भी, होसके तो नीचे इन शे'रों के मकसद पर भी प्रकाश डालिये,
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई।
bahut badhiya
main aap ke blog par aya magar der se aya, aap urdu ki baat karte hain.
magar apne hi shuruat hi ghalat ki hai.sare jahan se achha (hindostan)ghalat likaha hai sahi lafz hai ( Hindosta ) akhir me noonghunna ki awaz ani chahiye.
jaise aap ni likah (gulista )
Allah hafiz
ब्लॉग पर ख़ुश-आमदीद prem sandes
आप ने बिलकुल सही त्वज्जे दिलाई है
बहुत बहुत शुक्रिया. मैं ने दुरस्त कर दिया है.
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