सोमवार, 19 जनवरी 2009


तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे


तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे
कोई तुझ को उस से जुदा करे

तेरे होंट हँसना भूल जाएँ
तेरी आँख पुर-नम रहा करे

तू उसकी बातें किया करे
तू उसकी बातें सुना करे

उसे देख कर तू रुक पड़े
वह नज़र झुका के चला करे

तुझे हिज्र की वह घड़ी लगे
तू मिलन की हर पल दुआ करे

तेरे ख़्वाब बिखरें टूट कर
तू किरची किरची चुना करे

तू नगर नगर फिरा करे
तू गली गली सदा करे

तुझे इश्क़ हो तो यक़ीन हो
उसे तसबीहों पर पढ़ा करे

मैं कहूँ के इश्क़ ढोंग है
तू नहीं नहीं कहा करे

तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे
तुझे इश्क़ हो ऐसा ख़ुदा करे

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आँख पुर-नम रहना = आँख में आंसू रहना
हिज्र = जुदाई
तसबीह पढ़ना = माला जपना
सदा करना = आवाज़ देना

2 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

तुझे हिज्र की वह घड़ी लगे
तू मिलन की हर पल दुआ करे

तेरे ख़्वाब बिखरें टूट कर
तू किरची किरची चुना करे
"तोबा तोबा दुआ है की बददुआ..????? बेहद शानदार अभिव्यक्ति...टूटे दिल से शायद यही शब्द और दुआ निकलती है.."

Regards

राज भाटिय़ा ने कहा…

अरे बाप रे, गजल को किसी को ब्ददुअओ का टोकरा भर कर दे रहे है... चुन चुन के दुआ के पान मे बददुआ की सुपारी ओर इलायची डाल रहे है
वेसे आप की गजल बहुत ही सुंदर लगी, लेकिन दुआ के रुप मे होती तो ओर भी अच्छी लगती
धन्यवाद