tag:blogger.com,1999:blog-7095245152110019429.post821416960858494731..comments2023-07-09T15:38:47.057+05:30Comments on हिंदी जहाँ: आदिल मंसूरी - Adil MansuriSyed Hyderabadihttp://www.blogger.com/profile/03933308297011650354noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7095245152110019429.post-85675666683387708332008-11-15T15:18:00.000+05:302008-11-15T15:18:00.000+05:30डा० साहब , जनाब आदिल मंसूरी मेरे वालिद साहब के दोस...डा० साहब , जनाब आदिल मंसूरी मेरे वालिद साहब के दोस्त थे. पिछले दो साल से मेरा उनसे ईमेल से राबता रहा है. मुझे तो यह बात आप ही से मालूम हुयी के शायर की हैसियत से आदिल साहब गुजरात में इस क़द्र मक़्बूल रहे हैं.Syed Hyderabadihttps://www.blogger.com/profile/03933308297011650354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7095245152110019429.post-81378076035819640812008-11-15T14:48:00.000+05:302008-11-15T14:48:00.000+05:30आदिल साहब स्वात्रयोत्तर गुजराती ग़ज़ल की आबरू थे....आदिल साहब स्वात्रयोत्तर गुजराती ग़ज़ल की आबरू थे.उन्हें अहमदाबाद में बहुत पहले देखा था.<BR/>अहमदाबाद से बिछुड़ने का ग़म उन्हें ताउम्र रहा.<BR/>खास कर उनकी बहुत ही अहमदाबाद के बीच बहती साबरमती नदी पर ग़ज़ल-<BR/>નદીની રેતમાં રમતું નગર મળે ના મળે.<BR/>आदिल साहब की ख़ास ग़ज़ल<BR/>ज्यारे प्रणय नी जग मां शरूआत थई हशे.<BR/>त्यारे प्रथम ग़ज़ल नी रजुआत थई हशे.<BR/>हैदराबादी साहब आदिल मंसूरी साहब हमारे शहर की रौनक थे उनकी कमी हमेशा इस शहर ने ही नहीं पूरा गुजरात ने की.बहुत ही बचैन तबीयत के शख़्श.अपने से ज़्यादा लोगों के ग़मों ले परेशान.<BR/>मैं अकसर उनकी गुजराती ग़ज़ल का ये मतला ताज़ा हालात पर कोट करता हूँ-<BR/>कशूए कहेवु नथी सूर्य के सवार विशे.<BR/>तमे कहो तो करूं बात अंधकार विशं.<BR/>मुझे सूरज या सुब्ह से विषय में कुछ नहीं कहना.<BR/>आप कहें तो अंधकार के विषय में बात करूँ.<BR/>गुजराती ग़ज़ल का बात आदिल साहब के बिना नहीं हो सकती.अल्लाह उनकी रूह को सुकून बख़्शेऔर परिवार को हिम्मत दे. आमीन.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.com